कालिंजर पर आक्रमण
1531 ईस्वी में कालिंजर के शासक जो कालपी पर अधिकार करना चाहता था वह था प्रताप रुद्रदेव।
हुमायूँ ने कालिंजर के दुर्ग को जा घेरा लेकिन उसे जीत नहीं सका
और एक माह तक वहाँ पड़ाव डाले रहा तभी महमूद लोदी ने अफगानों को साथ लेकर जौनपुर व
उसके आसपास के भू-भाग पर कब्ज़ा कर लिया।इस कारण हुमायूँ ने रुद्रदेव से साधारण शर्तों पर
संधि कर ली। वह कालिंजर को तो नहीं जीत सका लेकिन रुद्रदेव उसका शत्रु बन गया तथा वह अफगानों
को सहायता देने लगा।
संधि कर ली। वह कालिंजर को तो नहीं जीत सका लेकिन रुद्रदेव उसका शत्रु बन गया तथा वह अफगानों
को सहायता देने लगा।
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